पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना: मोदी कैबिनेट ने मनरेगा के नए नाम को दी मंजूरी

मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी’ कर दिया है. यह बदलाव गांधी जी के ग्राम स्वराज, श्रम सम्मान और ग्रामीण विकास की विचारधारा को सशक्त करने के उद्देश्य से किया गया है. सरकार का कहना है कि यह नया नाम गांधी जी के ग्रामीण आत्मनिर्भरता मॉडल को बेहतर ढंग से दर्शाता है.
मनरेगा का नाम बदलने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में पास किया गया. यह सिर्फ नाम बदलने का निर्णय नहीं, बल्कि ग्रामीण रोजगार प्रणाली में नई पहचान और नई ऊर्जा जोड़ने का प्रयास माना जा रहा है. सरकार के अनुसार इससे योजना की ब्रांडिंग और विश्वसनीयता दोनों में सुधार होगा.
नाम बदलने के बाद भी योजना के मूल उद्देश्य और संरचना में कोई बदलाव नहीं किया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी, मजदूरी संरचना, पात्रता मानक और कार्य प्रणाली पहले की तरह बरकरार रहेंगे. हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि योजना को अधिक पारदर्शी, तेज और डिजिटल बनाने पर ज़ोर दिया जाएगा.
ग्रामीण विकास से संबंधित कामों में तेजी लाना इस नए बदलाव का मुख्य लक्ष्य है. तालाब खुदाई, जल संरक्षण, सड़क निर्माण, खेत-तालाब, मेड़बंदी जैसे कार्यों में अधिक फोकस रहेगा. सरकार चाहती है कि इस योजना का प्रभाव केवल मजदूरी तक सीमित न रहकर ग्रामीण विकास को भी दिशा दे.
भुगतान में देरी मनरेगा की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक रही है. सरकार ने घोषणा की है कि नई व्यवस्था में भुगतान को ऑटोमेटेड और तेज बनाया जाएगा. मजदूरों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल ट्रांजैक्शन सिस्टम और मजबूत किया जाएगा, जिससे श्रमिकों को आर्थिक तनाव का सामना न करना पड़े.
इस नए नाम वाली योजना में डिजिटल मॉनिटरिंग और AI आधारित ट्रैकिंग सिस्टम और मजबूत किया जाएगा. फर्जी जॉब कार्ड, गलत उपस्थिति और कार्यों की गलत रिपोर्टिंग जैसे मामलों पर तकनीक के माध्यम से रोक लगाने की तैयारी है. कार्यस्थलों पर उपस्थिति पूरी तरह डिजिटल होगी और सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन दर्ज किए जाएंगे.
यह योजना लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए आजीविका का महत्वपूर्ण स्त्रोत है. सरकार का मानना है कि नया नाम ग्रामीण समुदायों में योजना की पहचान को और सशक्त करेगा और लोगों का भरोसा भी बढ़ाएगा. बेरोजगार ग्रामीण परिवारों, सीमांत किसानों और गरीब परिवारों को इससे स्थायी और सुरक्षित रोजगार मिलता रहेगा.
केंद्र ने राज्यों से अपील की है कि वे भी नए नाम को जल्द लागू करें और इसके प्रभावी क्रियान्वयन में सहयोग करें. राज्यों के लिए मॉनिटरिंग, फंड आवंटन और कार्य मानकों को लेकर नए दिशा-निर्देश भी जारी किए जाएंगे.
इस फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी सामने आई हैं. समर्थकों का कहना है कि यह कदम गांधी जी की विचारधारा को सम्मान देता है, जबकि कुछ विपक्षी दल इसे केवल नाम बदलने की राजनीति बता रहे हैं. लेकिन सरकार का दावा है कि यह बदलाव ग्रामीण रोजगार और विकास को नए स्तर पर ले जाने वाला निर्णायक कदम होगा.
कुल मिलाकर, ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ के रूप में मनरेगा की नई पहचान ग्रामीण भारत में रोजगार, विकास और पारदर्शिता को और मजबूत करेगी. आने वाले समय में इस योजना में तकनीक आधारित सुधार और तेजी देखने को मिल सकती है, जिससे करोड़ों ग्रामीण परिवारों को सीधा लाभ पहुंचेगा.



